बच्चे किसी भी समाज का भविष्य होते हैं। उनका संरक्षण, विकास और शिक्षा समाज की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। परंतु, दुर्भाग्यवश भारत में बच्चों के साथ यौन अपराधों की घटनाएं लगातार बढ़ती रही हैं। इन अपराधों की भयावहता और गंभीरता को समझते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून लागू किया, जिसे हम POCSO Act के नाम से जानते हैं।
POCSO Act का पूरा नाम है – Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012। यह कानून विशेष रूप से 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को यौन शोषण, उत्पीड़न, अश्लील चित्रण (pornography) और यौन हिंसा से सुरक्षा देने के लिए बनाया गया है।
इस कानून की आवश्यकता क्यों पड़ी?
2012 से पहले, भारत में बच्चों के साथ यौन अपराधों से निपटने के लिए कोई समर्पित कानून नहीं था। अधिकतर मामलों में IPC (Indian Penal Code) की सामान्य धाराओं का ही सहारा लिया जाता था, जो कि बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीं थीं।
वर्ष 2007 में किए गए एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 53% बच्चों ने किसी न किसी प्रकार के यौन शोषण का सामना किया था। यह आँकड़ा अत्यंत चिंताजनक था और यही कारण था कि एक अलग और व्यापक कानून की आवश्यकता महसूस की गई।
POCSO Act की प्रमुख विशेषताएँ
- बच्चों की परिभाषा: इस कानून के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के हर व्यक्ति को “बच्चा” माना गया है, चाहे वह लड़का हो, लड़की हो या ट्रांसजेंडर।
- लैंगिक समानता (Gender Neutrality): यह कानून पूरी तरह gender-neutral है, अर्थात् यह सभी बच्चों को समान सुरक्षा प्रदान करता है – लड़के, लड़कियाँ और अन्य लिंग की पहचान रखने वाले बच्चे।
- स्पष्ट अपराधों की परिभाषा: POCSO एक्ट में यौन अपराधों को विस्तार से परिभाषित किया गया है और हर प्रकार के अपराध की अलग श्रेणी तय की गई है, जिससे न्याय प्रक्रिया में स्पष्टता आती है।
- विशेष न्यायालय (Special Courts): प्रत्येक जिले में POCSO मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनाई गई हैं जो तेजी से मुकदमा निपटाने का कार्य करती हैं।
- बच्चे के हित में कार्यवाही: इस कानून के तहत पूरी कानूनी प्रक्रिया बच्चे की मानसिक स्थिति, सुरक्षा और गोपनीयता को ध्यान में रखकर की जाती है।
POCSO Act के तहत अपराधों की श्रेणियाँ
- Penetrative Sexual Assault: यदि कोई व्यक्ति बच्चे के साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करता है या बलात्कार करता है, तो यह अपराध इस श्रेणी में आता है।
सजा: 7 साल से लेकर उम्रकैद तक। - Aggravated Penetrative Sexual Assault: यदि अपराधी कोई सरकारी अधिकारी, पुलिसकर्मी, शिक्षक, डॉक्टर हो या बच्चा विकलांग हो या जबरदस्ती नशीले पदार्थ देकर अपराध किया गया हो, तो यह अपराध और भी गंभीर श्रेणी में आता है।
सजा: 10 साल से लेकर उम्रकैद या कुछ मामलों में मृत्युदंड। - Sexual Assault (अनुचित स्पर्श): बिना शारीरिक संबंध बनाए, यदि किसी ने बच्चे को अनुचित तरीके से छुआ या अश्लील हरकत की, तो यह इस श्रेणी में आता है।
सजा: 3 से 5 साल। - Sexual Harassment (यौन उत्पीड़न):जैसे कि – अश्लील बातें करना, अश्लील इशारे करना, पीछा करना, बच्चे को पोर्नोग्राफिक सामग्री दिखाना
सजा: 1 से 3 साल। - Child Pornography: बच्चों की अश्लील तस्वीरें या वीडियो बनाना, उन्हें इंटरनेट पर डालना या फैलाना।
सजा: 5 साल से लेकर 7 साल तक।
POCSO Act की कार्यवाही की प्रक्रिया
- शिकायत दर्ज करना: किसी भी व्यक्ति को अगर यौन अपराध का संदेह हो तो उसे पुलिस को तुरंत सूचना देना अनिवार्य है।
यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर सूचना छिपाता है, तो उसे भी दंडित किया जा सकता है। - Zero FIR की सुविधा: शिकायत किसी भी थाने में दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध उसी क्षेत्र में हुआ हो या नहीं।
- बयान दर्ज करना: बच्चे का बयान विशेष संवेदनशीलता से लिया जाता है। अक्सर महिला अधिकारी या प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ता को यह कार्य सौंपा जाता है।
- मेडिकल जांच और मानसिक सहायता: बच्चे को मानसिक आघात से उबरने के लिए सरकार की ओर से काउंसलिंग और अन्य सहायता प्रदान की जाती है
- झूठे आरोपों के लिए सजा: POCSO एक्ट में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई जानबूझकर किसी निर्दोष व्यक्ति पर झूठा यौन अपराध का आरोप लगाता है, तो उसे भी दंडित किया जाएगा। लेकिन यह तभी होगा जब अदालत को यह प्रमाण मिले कि आरोप दुर्भावनापूर्ण और मनगढ़ंत था।
POCSO एक्ट और सामाजिक भूमिका
यह कानून केवल पुलिस और न्यायपालिका तक सीमित नहीं है। समाज के हर व्यक्ति – माता-पिता, शिक्षक, पड़ोसी, स्कूल प्रशासन और सामाजिक संगठनों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
स्कूलों में बच्चों को “Good Touch” और “Bad Touch” की जानकारी देना, उन्हें आत्मविश्वास देना, और घर का माहौल ऐसा बनाना कि बच्चा डर के बिना अपनी बात कह सके – ये सभी POCSO के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जरूरी हैं।
निष्कर्ष
POCSO एक्ट एक क्रांतिकारी कदम है जिसने बच्चों को कानूनी सुरक्षा का कवच दिया है। यह कानून न केवल अपराधियों को सजा देता है, बल्कि पीड़ित बच्चों को सुरक्षा, न्याय और पुनर्वास भी प्रदान करता है।
आज जरूरत है कि हम इस कानून की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएँ, ताकि हर बच्चा भयमुक्त होकर जीवन जी सके और कोई अपराधी कानून से बच न पाए।